अंतर्जनपदीय तबादलों की पारदर्शिता पर उठ रहे सवाल, 21695 शिक्षकों की सूची नहीं हुई सार्वजनिक।
इसे ऐसे समझें, कुछ माह पहले 69,000 शिक्षक भर्ती की दो चरण में चयन सूची सार्वजनिक हुई थी। उसे जिसने चाहा देखा, दूर रहने वाले परिजनों ने भी अपनों के नाम खोज लिए। इसके ठीक उलट अंतर जिला तबादले की सूची है। इसे देखने के लिए शिक्षक को अपना रजिस्ट्रेशन नंबर, मोबाइल नंबर दर्ज करना पड़ता था। तब उसे ओटीपी मिलती थी वह भरने पर ही तबादले की स्थिति उसे पता चलती रही।
ओटीपी आने में समस्या होने पर वेबसाइट पर शुक्रवार को बदलाव हुआ। रजिस्ट्रेशन नंबर, मोबाइल नंबर को यथावत रखा गया साथ ही जन्म तारीख भरने का निर्देश हुआ, तब स्थिति पता चल सकी। इतनी सूचना किसी शिक्षक या फिर उसके बेहद करीबी के पास ही होगी, तभी वह परिणाम जान सकता है। इन तबादलों में हर तरह के भारांक तय थे और अधिकतम अंकों वाले शिक्षकों का ही स्थानांतरण होना था। उसके बाद भी पारदर्शिता पर तीन नंबरों का पहरा क्यों रखा गया?
प्रदेश में करीब साढ़े तीन लाख शिक्षक हैं, इस व्यवस्था से वे पूरी सूची छोड़िए साथियों तक की स्थिति से वाकिफ नहीं हैं। इससे विभाग को लाभ यह है कि दूसरे शिक्षक का तबादला क्यों हो गया या फिर क्यों नहीं हुआ, यह आसानी से जाना नहीं जा सकता। यदि सूची सार्वजनिक हो जाती तो अब तक खामियां तेजी से चिह्न्ति होती। यही नहीं तबादला सूची परिषद सचिव के हस्ताक्षर से निर्गत नहीं हुई है, बल्कि निदेशक बेसिक शिक्षा की ओर से जारी कराई गई है।